लखनऊः उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भले ही अभी 7 से 8 महीने बचे हों, लेकिन अभी से ही हर राजनीतिक दल ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. भारतीय जनता पार्टी में हाल ही में बड़ी बैठकों का दौर चला है तो वहीं समाजवादी पार्टी प्रत्याशिता के लिए आये आवेदन को जल्द से जल्द छांटकर टिकटों की घोषणा करना चाहती है. इसी बीच उत्तर प्रदेश में तीन दशक से सत्ता से दूर कांग्रेस भी चुनाव की तैयारी में अपने अभियान की शुरुआत करने वाली है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी जुलाई के पहले हफ्ते में लखनऊ आ रही हैं. प्रियंका करीब 5 दिन लखनऊ में रहकर संगठन की बैठकें करेंगी.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को पता है कि यूपी में अपनी खोई हुई ज़मीन वापस पाना इतना आसान नहीं है. इसलिए प्रियंका अब यूपी में रहकर पार्टी की खोई ताक़त वापस पाने की ज़द्दोज़ेहद करेंगी. यूपी चुनाव तक प्रियंका गांधी अपना ज्यादा समय लखनऊ और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में ही गुजारने की तैयारी कर रही हैं. लखनऊ में प्रियंका गांधी के रहने की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं. लखनऊ के जॉपलिंग रोड पर स्थित जिस कौल हाउस में प्रियंका गांधी को रहना है उस कौल हाउस में उनके रहने की तैयारियां शुरू कर दी गई है. कौल हाउस पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मामी का घर है. राज्यपाल रह चुकीं शीला कौल इंदिरा जी की मामी थीं.
प्रियंका गांधी लखनऊ के जिस कौल हाउस में यूपी चुनाव तक रहेंगी, उसमें निर्माण का काम चल रहा है. कौल हाउस की बाउंड्री को बांस के शेड से ऊंचा करने का काम चल रहा है. इसकी 2 वजह हैं. पहला कि कौल हाउस की बाउंड्री क़रीब 5 फुट ऊंची है. कोई अनजान व्यक्ति दीवार कूदकर अंदर न आ सके, इसके लिए बाउंड्री को ऊंचा कराया जा रहा है. दूसरी वजह है प्राइवेसी. अगल बगल से मकान के अंदर कोई झांक न सके, इसके लिए भी बाउंड्री का साइज 5 फुट से बढ़ाकर क़रीब 15 फुट किया जा रहा है. कौल हाउस में मजदूर लगातार बांस का शेड बनाकर बाउंड्री तैयार कर रहे हैं.
कौल हाउस से गांधी परिवार का पुराना नाता रहा है. शीला कौल इंदिरा गांधी की मामी थीं. इस बंगले में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू तक आ चुके हैं. इन बड़ी हस्तियों के इस बंगले में आने की निशानियां आज भी मौजूद हैं. गेट से अंदर प्रवेश करते ही दाहिने हाथ पर एक वट वृक्ष है जिसे महात्मा गांधी ने लगाया था. बंगले के अंदर एक आम का पेड़ है जिसे 1936 में जवाहरलाल नेहरू ने लगाया था.
यूपी के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इस कोशिश में है कि प्रियंका गांधी का चेहरा आगे करके पार्टी अपना खोया जनाधार वापस पा सके. कांग्रेस के सामने संकट ये है कि बीते 3 दशकों से वो यूपी के सत्ता से बाहर है. 2014 के लोकसभा चुनाव में अमेठी और रायबरेली सीटों पर ही कांग्रेस को जीत मिल पाई थी, वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज़ 7 सीटें ही हासिल हुई थीं.
पार्टी को बड़ा झटका 2019 के लोकसभा चुनाव में लगा जब अमेठी से राहुल गांधी चुनाव हार गए और कांग्रेस सिर्फ सोनिया गांधी की रायबरेली सीट ही जीत सकी. ऐसे में 2022 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए एक ऐसी चुनौती है जिसमें प्रियंका गांधी की पूरी साख दांव पर लगी हुई है. यही वजह है कि प्रियंका जल्द ही यूपी आएंगी और चुनावों तक अपना ज्यादातर समय यूपी में ही बिताएंगी.